बहुत ज़रूरी है, वो पेड़

सत्ताईस साल हो गए उसे। 

सत्ताईस साल। 

एक पेड़ है, ठीक मेरे कमरे की बालकॉनी के बाहर। 

कितने तूफ़ान, कितनी आँधियाँ, कितनी तीखी-चिलमिलाती धूप देखी होगी उसने...

...पर फिर भी वह खड़ा हुआ है, वहीं, उसी जगह, उसी वातावरण में, उन्ही अन्य पेड़ों के बीच। 

ताज्जुब की बात है कि उस पेड़ पर हर साल आम आते हैं। और हम हर साल उन रसीले आमों का लुत्फ़ उठाते हैं।  

वो कहते हैं न, "पेड़ कभी खुद अपने फल नहीं खा सकता", 
शायद इसीलिए उसकी जड़ें इतनी गहरी होती हैं, ताकि वो अपना सर्वस्व देने में ही जी सके, लेने में नहीं।

बरसों से उसने अपनी छाँव दी, अपने फल दिए, यहाँ तक कि अपनी डालों में परिंदों का घर भी बसा लिया, पर कभी किसी से कुछ माँगा नहीं।

सिर्फ खड़ा रहा, चुपचाप, सब सहते हुए।

मैं अक्सर, सुबह उठ कर, अपनी बालकॉनी में जाकर, उस पेड़ के सामने खड़ी हो जाती हूँ। मेरा घर चौथे माले पर है और इस पेड़ का कद भी कुछ इतना ही है। मैं उस से कुछ ख़ास कहती तो नहीं, बस उसे देखती रहती हूँ ।  सोचती कुछ नहीं पर बहुत कुछ सोच लेती हूँ।  

मुझे पता है, उससे बातें करके कोई जवाब तो मिलने वाला है नहीं, मगर, इतना ज़रूर समझ जाती हूँ कि ये मेरी चुप्पी को बेहतर समझ गया है। 

वह बस अपनी पत्तियों की हल्की-सी सरसराहट से ऐसा लगता है जैसे कह रहा हो, "मैं यहीं हूँ, सुन रहा हूँ।"

मैं कई दफ़ा इसके सामने खड़े होकर रोई हूँ, गुस्सा भी दिखाया है, और उसने बिना कुछ कहे, बिना कुछ बोले मुझे चुप चाप सुना है।  

उसने मुझे गिर कर उठते हुए भी देखा है। 

उसे गर्व तो होगा न मुझ पर ?

शायद उसकी पत्तियों में छिपा कोई जवाब होगा… मगर मैं सुन नहीं पाती।

मेरी माँ कई दफ़ा मुझसे पूछतीं हैं कि मैं क्यूँ घंटो उसके सामने खड़े रहती हूँ।  

मुझे कभी- कभी यह समझ नहीं आता कि वो मेरे सामने खड़ा है या मैं उसके सामने !

वह पेड़, जो सत्ताईस सालों से उसी जगह खड़ा है, हल्की सी हवा से जो धीमा सा हिल जाता है और तेज़ आँधी आने पर भी वही डटकर खड़ा है, बहुत ज़रूरी है। 

और उतना ही ज़रूरी  है उसे रूमानी नज़र से देखना।

- तरुणा घेरा 

Comments

  1. 🌿 बहुत ख़ूब ❤️

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  2. 🧿🧿👏🏽👏🏽👏🏽

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  3. Wow great this is v. touching and after reading this article feeling like a so close friend which can feel my emotions and my smile, anger, and feel my silence, so touching lovely, and as like you share with every small things which is in you mind , I feel if we have feelings as human, then every tree or every plant have so much feeling , they can also understand everything. Thankyou so much for this beautiful artical.

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